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Showing posts from August, 2020

"एक दुआ" - अंजली खेर द्वारा लिखित

  एक दुआ सावन की पहली झड़ी थी,,  सुनीता को अस्पताल से कल ही छुट्टी मिली थी,, नन्ही रानू को मालिश कर दाई माँ ने कुनकुने पानी ने नहला दिया था,, दूध पिलाकर सुनीता ने उसे सुलाकर उठी ही थी कि दरवाज़े पर दस्तक के साथ आवाज़ आई - दीदी जी,, ओ दीदी,, कहाँ गयी??? सावन का चंदा और लक्ष्मी के आने का नेग लूंगी हा,, आवाज़ सुनते ही सुनीता ने अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया । सुनीता की सास लता बड़बड़ाती बाहर आई,,, अरे ,,, काहे का नेग??? दूसरी बार बेटी जनी,,,, बेटा पैदा होता तो मुँहमाँगा इनाम देती मैं,,,इसके तो जन्म से ही ब्याह की चिंता होने लगी है ।* सुनीता की सास के कटाक्ष सुनते ही हीरा बोली - *अरे अम्मा शुक्र मनाओ कि बिटिया हुई,, हमारे जैसी  कलंकित जिंदगी तो नही जिएगी बिटिया रानी,, अरे उसे पढाने -लिखाने और शादी की हैसियत नही आपकी तो हमें दे दो,,हम करेंगे इसकी परवरिश* ,, हीरा की बात सुनकर सुनीता रानू को अपनी गोद मे लेकर बाहर आकर हीरा से कहती है - मौसी,, मेरी बिटिया को आशीर्वाद दो । रानू की बलैया लेती हीरा कहती है  *बिटिया पढ़कर इतना नाम कमाए कि जिंदगी भर किसी पर बोझ न बने । जाते-जात...

"एक माँ ऐसी भी" - अंजली खेर द्वारा लिखित

  एक माँ ऐसी भी संकल्‍प के कमरे का दरवाजा खोलते ही वीणा का मन कसैला सा हो गया । कितना बे‍तरतीब सा कर रखा हैं, धुले कपड़े चादर की गठरी से बाहर निकलकर जैसे चिढ़ा रहे थे – बहुत तहज़ीब पसंद हो ना, अब अपने बेटे को थोड़ा शरूर सिखाओं तो जानें ।’  चादर झटकारने के लिए तकिया उठाया ही था कि देखा, तकिये के नीचे रोमांटिक पत्रिका रखी हुई हैं, पन्‍ने पलटे तो मन घृणा से भर उठा –ये मेरा ही बेटा है ?  घिन आती है इसकी सोच पर मुझे । सोचने को मजबूर हो जाती हॅू कि क्‍या वाकई बच्‍चों के गुण-अवगुण, आदतें माता-पिता के जींस पर ही निर्भर करते हैं ? संकल्‍प के पापा और मैं तो ऐसे नहीं थे, फिर ये हमारा बेटा ऐसा कैसे हो गया ? चादर झटकारकर वीणा से मैग्‍जीन जस की तस तकिये के नीचे रख दी । कमरा थोड़ा सलीके से करके वह बाहर आई तभी डोरबेल बजी । दरवाजा खोला तो सामने संकल्‍प कॉलेज का बैग पकड़े खड़ा था । हाय मॉम, कैसी हो, क्‍या कर रही हो ?  मैं तो ठीक हॅू, । चाय बना रही हॅू, पीयेगा मेरे साथ ?  मेरे मन की बात कह दी मॉम, , आप चाय बनाओ जल्‍दी से, बहुत थकान सी लग रही हैं  । मैं फ्रेश होकर आता हॅू वीणा...

"सपनों को मिली नई उड़ान" - अंजली खेर द्वारा लिखित

  सपनों को मिली नई उड़ान मोबाइल की घंटी ने मनस्‍वी की सपनीली इंद्रधनुषी दुनिया की तंद्रा को भंग कर दिया । मोबाइल पर ‘तरूण सर’’ का नाम दिखते ही उसकी सारी नींद भाग गई ।  आनन-फानन में उसने मोबाइल उठाया । ’’गुड मॉर्निंग सर’’ वेरी गुड मार्निंग, मनस्‍वी,,,, कॉन्‍ग्रेचुलेशन्‍सससस ।  अभी हाल उस कंपनी के इंटरव्‍यू का रिजल्‍ट डिक्‍लेयर हुआ हैं, उसमें तुम्‍हारा सिलेक्‍शन हो गया हैं । मनस्‍वी तुमने तो कॉलेज का नाम रोशन कर दिया । इतनी बड़ी कंपनी में सिलेक्‍शन होना हमारे कॉलेज के लिए भी गर्व की बात हैं । थैक्‍स ए लॉट सर, आपने तो मेरा दिन बना दिया ।  मेरी इस सफलता में आपका बहुत सहयोग रहा । आपने इंटरव्‍यू की तैयारी में मेरी बहुत मदद की, इस बात को मैं कभी नहीं भूल सकती ।  अरे कैसी बातें करती हो? मैने तो अपनी ड्यूटी की,  मेहनत तो तुम्‍हारी थी पूरी । चलो अंत भला तो सब भला, एन्‍जॉय करों ।  ओ के थैक्‍स अगेन सर,,,, कहकर मनस्‍वी ने फोन कट किया तो उसकी आंखों से खुशी के आंसु झर-झर बह निकले । मुँह धोकर किचन जाकर मनस्वी एक कप गरमागरम चाय लेकर आई । उसकी आंखों के आगे दो साल पहले क...

Dr. Uma Sharma - Freelance Artist

Dr. Uma Sharma (Mathura, Uttar Pradesh) -Freelance Artist- Uma Sharma is a prominent and bewildering personality, representing Mathura across the country by her artworks. She is renowned, far and wide known for her famous collage, made without using brush and paint. She uses this tagline “no brush no paint”. She is an amazing artist and a social worker who has made her motive to work for people throughout her life. She is a record holder of making the world largest (16/6 feet) and smallest (3/3 inches) collage on canvas  She has grown seeing her mother doing various peculiar works apart from her household chores. She never sat idle and kept pacing constantly towards other creative things. Her mother being her first teacher, taught her various household allied art and craft, and always supported her art. During her time, education hardly played any role in the field of art and craft, she kept scribbling and decorating her notebook. Since the very beginning, she was enthusiastic abou...

और भी हैं राहें,,, फिर कोरोना से क्‍यों हारें | अंजली खेर द्वारा लिखित(भाग ०२)

  लेखक: अंजली खेर  द्वारा लिखित और भी हैं राहें,,, फिर कोरोना से क्‍यों हारें ? भाग ०२   अब आगे क्‍या,, ??,,,,, जी हां हम सभी की भागती-दौड़ती तेज़ रफ्तार जिंदगी को अचानक से पूर्ण विराम लगा ‘’कोरोना’’ नामक अदृश्‍य जानलेवा शत्रु ने हमारे समक्ष ये प्रश्‍न लाकर खड़ा कर दिया हैं । आज हर आयुवर्ग अपने भवितव्‍य को लेकर विंतातुर जान पड़तेs हैं । नि:संदेह एक लंबे अंतराल का लॉक डाउन पीरियड और उसके बाद हौले-हौले जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद,,,,किुतु अफ़सोस कि अब हमारी जिंदगी दो हिस्‍सों में बंट गयी हैं, एक कोरोना के पहले वाला बिंदास और सरपट भागता जीवन और दूसरी ओर कोरोना के बाद वाली मंद गति से आगे बढ़ती और थमी-सहमी सी जिंदगी । बेशक इस अंतहीन संकट के दौर से गुज़रना आसान नहीं, पर परिस्थितियां चाहे जैसी हो, जीवन नैया भले धीमी गति से चले, चलती ही रहती हैं क्‍योंकि जिंदगी चलने का नाम हैं । यह बात सोलह आने सच हैं कि  ‘’कोरोना’’ के साथ जिंदगी जीने के ब्रम्‍ह सत्‍य को हम सभी ने स्‍वीकार करना ही होगा, वरना नकारात्‍मकता का लेश मात्र भी हमारे जीवन के अस्तित्‍व को समाप्‍तप्राय करने मे...

बात अंतस की - अंजली खेर द्वारा लिखित (भाग ०१ )

लेखक: अंजली खेर  द्वारा लिखित बात अंतस की भाग ० १    बेशक कोरोना नामक अदृश्‍य जानलेवा दुश्‍मन ने हमारी जिंदगी को तहस-नहस कर जीवन गति पर पूर्णविराम सा लगा दिया हैं, पर इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि मानव के विविध रूपों को उज़ागर कर, स्‍वार्थपरक मानसिकता को त्‍यागने की सीख देने वाला लॉक डाउन काल हमें सावधानी, सतर्कता और संचेतना का पाठ भी सिखा गया । हर दिन – हर पल असीम आकांक्षाओं की प्रतिपूर्ति की लालसा में भटकते मन की गति में अचानक एक ठहराव सा आ गया, सीमित संसाधनों में गुज़ारा करने के साथ ही लॉकडाउन के पहले हमारे आये दिन की आउटिंग, शॉपिंग और होटलिंग पर अनाप-शनाप खर्चो की बरसों की आदतों को लेकर आज हम खुद ताज्‍जुब करने लगे । लॉक डाउन के शुरूआती दौर में सोशल मीडि़या, व्‍हाट्सअप पर परोसी जाने वाली भ्रांतिपूर्ण खबरों ने हमारे मन-मस्तिष्‍क में नकारात्‍मकता का बीज रोपित करने में कोई कोर-कसर न छोड़ी, किंतु मुट्ठीभर लोगों ने समझदारी का परिचय देते हुए घर की चार-दीवारी में भी अपनी रचनात्‍मकता से न केवल अपनी प्रतिभा, क्षमता और विचारों को नवीन आयाम दिये वरन् अपने से जुड़े लोगों के लिए...

Mr. Anmol Deep

  RANCHI LAD ANMOL DEEP UNVEILS YOUNG MIND’S VISION ON CINEMATOGRAPHY Anmol believes that cinematography has unlimited scope for a professional who is good at his work. While talking about his own creative journey, the young man gives smart tips to those aspiring to enter into the field. 1. Tell us about your schooling/ education? I completed my matriculation from DAV Public School in Jharkhand’s Ranchi. I then finished my Class 12 in science stream (non-medical) from Oxford Public School here. Following this, I moved to Jaipur, Rajasthan, to pursue graduation and masters in animation and multimedia from Birla Institute of Technology. 2. Why did you make a shift from science stream to the creative field of animation? Since childhood, I had been inclined to creativity. As a kid also, I was very fond of cartoon designing and animation but had no clue on how I could take it up professionally. However, when I grew up and it was the time to choose a career, I was sure about choosing the...

Dr. Vasundhara Sharma

Dr. Vasundhara Sharma believes that art & Creativity has the unlimited scope and proves it through her creative journey. Find out more as you read her exclusive interview. Dr.VASUNDHARA SHARMA, a freelance artist from Ajmer, is an inspiration for many growing artists. She completed her Ph.D. in arts from M.L.S.U. Udaipur, Rajasthan; while her former studies were done from Ajmer. Back in her school days, she was appreciated and had received many achievements for her paintings. She has been awarded many awards both in the state as well as the national level for her works, including:- State Level 1st Prize in RAJASTHAN LALIT KALA ACADEMY Jaipur 2011. • BEST ARTIST AWARD in College Graduation 2009 • SECOND Prize in “MAHARANI LAXMI BAI” POSTER COMPETITION Organized by ABVP held at DAV College, Ajmer 2010 • FIRST Prize in SWAMI VIVEKANAND POSTER COMPETITION organized by ABVP held at DAV COLLEGE, Ajmer 2009 • SECOND Prize in BLOOD DONATION POSTER COMPETITION 2010 • THIRD Prize in AID...

Mr. Ankit Sabharwal"

"Exclusive Article on Mr. Ankit Sabharwal" We all are used to technologies, which made a huge evolution in the past few decades. This pandemic situation has brought us even closer to technology. People have switched to digitalization for almost all their needs, studies have been made digital, payments are digital now, everything that we can think is digital. But do we think who people are behind this? Yes, software Engineers... We are at home using these technologies, there they are sweating, working day and night so that the software does not crash. They are the ones who made home, their office. Among them, we have, Mr. Ankit Sabharwal, a senior software Engineer in Microsoft. He is very talented and well acquainted with his sector. In this stressful condition of COVID, he has a positive attitude towards his work. Ankit himself is a diligent person and influences students and everyone else to be consistent and dedicated towards his/her goal. His wife and mentor Dr. Anupam Bh...