लेखक: अंजली खेर द्वारा लिखित बात अंतस की भाग ० १ बेशक कोरोना नामक अदृश्य जानलेवा दुश्मन ने हमारी जिंदगी को तहस-नहस कर जीवन गति पर पूर्णविराम सा लगा दिया हैं, पर इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि मानव के विविध रूपों को उज़ागर कर, स्वार्थपरक मानसिकता को त्यागने की सीख देने वाला लॉक डाउन काल हमें सावधानी, सतर्कता और संचेतना का पाठ भी सिखा गया । हर दिन – हर पल असीम आकांक्षाओं की प्रतिपूर्ति की लालसा में भटकते मन की गति में अचानक एक ठहराव सा आ गया, सीमित संसाधनों में गुज़ारा करने के साथ ही लॉकडाउन के पहले हमारे आये दिन की आउटिंग, शॉपिंग और होटलिंग पर अनाप-शनाप खर्चो की बरसों की आदतों को लेकर आज हम खुद ताज्जुब करने लगे । लॉक डाउन के शुरूआती दौर में सोशल मीडि़या, व्हाट्सअप पर परोसी जाने वाली भ्रांतिपूर्ण खबरों ने हमारे मन-मस्तिष्क में नकारात्मकता का बीज रोपित करने में कोई कोर-कसर न छोड़ी, किंतु मुट्ठीभर लोगों ने समझदारी का परिचय देते हुए घर की चार-दीवारी में भी अपनी रचनात्मकता से न केवल अपनी प्रतिभा, क्षमता और विचारों को नवीन आयाम दिये वरन् अपने से जुड़े लोगों के लिए...
बहुत सारगर्भित कहानी।
ReplyDeleteआज के युग मे अभिभावको को बच्चो को उनकी इच्छा के अनुसार निर्णय लेने की स्वतंत्रता देना चाहिए।👍
आभार जी
DeleteVery natural and inspiration, also a message
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteबहुत ही अच्छी कहानी है , बच्चों की इच्छा और निर्णय का सम्मान करना बहुत ज़रूरी है ...
ReplyDeleteआभार मिष्ठी
DeleteVery nice Anjali.
ReplyDeleteThanx a lot
DeleteBahut hi real & inspiring story hai
ReplyDeleteThanx a lot
DeleteVery inspirational for the new generation.
ReplyDeleteThanx a lot
Deleteबहुत ही सारगर्भित कहानी
ReplyDelete👏👏👏👏👏👏
आत्मीय आभार जी
DeleteBahut he acchi rachna
ReplyDeleteआभार आपका
Deleteआत्मीय आभार जी
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