भाग ०१
बेशक कोरोना नामक अदृश्य जानलेवा दुश्मन ने हमारी जिंदगी को तहस-नहस कर जीवन गति पर पूर्णविराम सा लगा दिया हैं, पर इस बात से नकारा नहीं जा सकता कि मानव के विविध रूपों को उज़ागर कर, स्वार्थपरक मानसिकता को त्यागने की सीख देने वाला लॉक डाउन काल हमें सावधानी, सतर्कता और संचेतना का पाठ भी सिखा गया ।
हर दिन – हर पल असीम आकांक्षाओं की प्रतिपूर्ति की लालसा में भटकते मन की गति में अचानक एक ठहराव सा आ गया, सीमित संसाधनों में गुज़ारा करने के साथ ही लॉकडाउन के पहले हमारे आये दिन की आउटिंग, शॉपिंग और होटलिंग पर अनाप-शनाप खर्चो की बरसों की आदतों को लेकर आज हम खुद ताज्जुब करने लगे ।
लॉक डाउन के शुरूआती दौर में सोशल मीडि़या, व्हाट्सअप पर परोसी जाने वाली भ्रांतिपूर्ण खबरों ने हमारे मन-मस्तिष्क में नकारात्मकता का बीज रोपित करने में कोई कोर-कसर न छोड़ी, किंतु मुट्ठीभर लोगों ने समझदारी का परिचय देते हुए घर की चार-दीवारी में भी अपनी रचनात्मकता से न केवल अपनी प्रतिभा, क्षमता और विचारों को नवीन आयाम दिये वरन् अपने से जुड़े लोगों के लिए अनुकरणीय आदर्श निर्मित कर सकारात्मकता का अलख जगाया ।
नि:संदेह जान से बढ़कर कुछ नहीं, और रिश्तों की खुशनुमा महक के बिना जीवन की सार्थकता ही नहीं, पर ‘’कोरोना महामारी’’ काल में मुखाग्नि देने से मना करने वाले बेटे, आपसी झड़प के चलते तलाक की कगार पर पहुंचा दांपत्य जीवन तथा धर्म-जाति को लेकर देश-समाज में फैलते विवादों की खबरों से जब मन खट्टा सा हो गया तो मैने प्रतिदिन मात्र मुख्य खबरों पर एक नज़र डाल रोचक-रचनात्मक और ऊर्जावान बनाने के लिए दिनचर्या को व्यवस्थित बनाने पर बल दिया ।
अपनी खुशियों की चाबी अपने हाथ मे होना ही आनंदी जीवन का मूलमंत्र हैं और जब हम खुश रहेंगे तभी अपने-अपनों को खुशनुमा माहौल दे सकेंगे । इस फेहरिस्त में मैने सबसे पहले संगीत की मधुर तान के साथ खुद को पढ़ना, गुनना और रचना शुरू किया, अपनी लेखनकार्य की रूचि को और तेज़ करने के लिए कलम की धार पैनी करना शुरू किया ।
बोझिल वातावरण में स्वयं को सकारात्मक बनाये रखने के लिए मैने देश-समाज के हितार्थ भलमनसाहत का कार्य करने वालों की सकाचार पत्र और न्यूज़ चैनलों में प्रकाशित व प्रसारित खबरों को एकत्र कर उनका उल्लेख करते हुए ऊर्जसित करते आलेख लेखन करना शुरू किया । मुझे असीम आनंद मिलता जब कोई मुझे मैसेज या फोन करके यह कहता –‘’तुम्हारी फलां कहानी, तुम्हारा फलां आलेख पढ़कर मन हल्का सा हो गया ।
मैने महसूस किया कि यही वह समय है जब देश के बिगड़े अर्थतंत्र के चलते डिगते आत्मविश्वास की समस्याओं से जूझते देश के नौनिहालों यानि अपने बच्चों से तसल्ली से बात कर अपने विचारों, मनोभावों का संज्ञान लेते हुए दोस्ताना व्यवहार के मद्देनज़र उनके आत्मविश्वास को बरकरार रख्ना अत्यंत आवश्यक हो गया था, सो प्राथमिकता की अगली सूची में मैने इस कार्य को शामिल किया ।
अपनी सुरक्षा के प्रति आवश्यक मानकों की सबको जानकारी है, साथ ही हर शहर की वर्तमान स्थिति न्यूज-चैनलों के माध्यम व्यापक प्रचार-प्रसार के चलते सर्वविदित हैं, सो खैरियत जानने हेतु अपने आत्मीयों से फोन पर बात करते समय ‘’कोरोना के आंकड़ों’’ को लेकर विचारमंथन करने, बेवजह एक-दूसरे से सलाह-मशवरे देने के बजाय किन्हीं हल्के-फुल्के विषयों पर बात करना ज्यादा फायदेमंद हैं, इसका मैं हमेशा ध्यान रखती ।
मुझे ये समझ नहीं आता कि हमारे देशवासी प्रत्येक परिस्थिति में अपनी रचनात्मकता का परिचय कितनी द्रुतगति से दे दिया करते हैं चलिए कोई अच्छी खबर हो तो भी ठीक, पर यहां लोगों की जान पर बन आई हैं और लोगों की रचनात्मकता तो देखते ही बनती हैं, कोरोना को लेकर चुटकियों में कितने ही कार्टून, चुटकुले, पत्नियों से तानाबाना बुनती फब्तियां, वीडि़योज़ और भी न जानें या क्या-क्या । यदि इस कल्पनाशीलता को कहीं उत्पादकता में प्रयोग किया जाए तो बेशक भारत कोई बद्भुत चमत्कार रच सकता हैं ।
दिन-दोगुने, रात-चौगुनी गति से बढ़ती कोरोना महामारी के आंकड़ें ये सोचने को मजबूर कर देते हैं कि विश्वव्यापी महामारी से जंग लड़ने की फेहरिस्त में जब कोरोना योद्धा देश-समाज की खातिर अपनी जान की परवाह किये बिना अपने कर्तव्य अनवरत् निबाहते चले जा रहे हैं, तो फिर हम अपनी जान की खातिर अपने घर की लक्ष्मण रेखा में रहना आखिर क्यों कर हमारे लिए इतना दुश्कर हो चला हैं ??
लेखक: अंजली खेर
संपर्क करें:9425810540
प्रकाशक: अनफोल्ड क्राफ्ट
बहुत बढ़िया अंजली। एक अच्छा संदेश।
ReplyDeleteआभार आपका
DeleteVery nice Anjali ...👌👌
ReplyDeleteआभार जी
DeleteVery nice with a good message 👌👌
ReplyDeleteआत्मीय आभार
DeleteVery nice👌👌
ReplyDeleteआभार जी
Deleteबोहोत सही अंजली
ReplyDeleteआभार जी
DeleteJee bilkul sahi
ReplyDeleteआभार
Deleteअंजलि बहुत सुंदर सारगर्भित लेख लिखा है । हार्दिक बधाई💐💐
ReplyDeleteआभार जी
Deleteबहुत सटीक संदेश है और प्रेरणात्मक भी
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार
DeleteVery nice
ReplyDeleteYe Sach hai ki Parents hamesha apne pariwaar ike liye beheter sochte hai ,lekin ye zaruri nahi ki Aap Jo desision lete hai wo sahi hai,aeisa aksar hota hai,aaj KE yug me koi kisi ko nahi manta,wo ye sochte hai ki Jo wo kar rahe hai ,wo sahi hai,baad me SAMAY (WAQT) dikhata hai,sab apne me Indepent rahna chahte hai,Kai baar sahi saabit hote hai, well done Anjali mam nice story.
ReplyDeleteबिल्कुल सही। जहां कुछ लोग अपनी जान खतरे में डालकर कोरोना से जंग लड़ रहे थे वही कुछ लोग अपनी लापरवाही से दूसरों की जान खतरे में डाल रहे थे।
ReplyDeleteआत्मीय आभार
Deleteबहुत ही सारगर्भित कहानी
ReplyDeleteआभार जी
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